मुंबई. लॉक डाउन की वजह से 45 दिन तक फैक्टरी बंद होने से भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग को 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान होगा। यह देश की जीडीपी का 0.5 प्रतिशत है। देश में 25 मार्च से 3 मई तक लॉक डाउन चल रहा है। पर ज्यादातर ऑटो प्लांट 20 मार्च को बंद हो गए थे।
उत्पादन बंद होने से जीएसटी पर भी होगा असर
उत्पादन बंद होने का मतलब यह भी है कि सरकार का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन भी बुरी तरह से प्रभावित होगा। यह ₹28,000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है जिसमें दूसरे राज्यों से आने वाले ₹14,000 करोड़ शामिल नहीं है। ऑटो सेक्टर कुल जीएसटी में करीब 15 प्रतिशत का योगदान केंद्र सरकार को देता है। सरकार ने कुछ प्लांट्स को फिर से आरंभ करने की अनुमति दी है। पर ऑटो कंपनियों को लगता है कि चूंकि आपूर्ति तय नहीं है। शोरूम बंद हैं। इन्वेंटरी का अंबार लग गया है और कोई भी कार को खरीदने अभी आ नही रहा है। ऐसे में इसका कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा 3 मई के बाद क्या होगा। कोई नहीं जानता।
रेवेन्यू के नुकसान की रिकवरी बड़ी मुश्किल है
ऑटो कंपनियां चाहती हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद इकोसिस्टम के सभी सेगमेंट को बिजनेस के लिए खोल दिया जाए, जिसमें एहतियात बरती जाए। रेवेन्यू में हुए नुकसान के रिकवरी बड़ी मुश्किल दिखाई पड़ती है। खासकर तब ,जब ऑटो उद्योग महामारी से पहले से ही अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा था।
जीएसटी में होने वाले राजस्व के नुकसान का करीब दो तिहाई हिस्सा नए वाहनों से होगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन टैक्स और बीमा पर जीएसटी होगा। यात्रा पर प्रतिबंधों को देखते हुए ईंधन पर उत्पाद शुल्क भी घट गया है। जिससे राज्यों को राजस्व से वंचित होना पड़ा है।
ऑटो की बिक्री कैलेंडर वर्ष 2010 के नीचे आ सकती है
हर एक हफ्ते के अतिरिक्त शटडाउन के साथ प्रोडक्शन की रिकवरी और धीमी होती जाएगी। साथ ही, अधिकारियों को डर है कि जून तिमाही की बिक्री पिछले साल के मुकाबले 50 प्रतिशत अधिक गिर सकता है। आईएचएस मार्किट के एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वंगल ने कहा, भारतीय बाजार में कैलेंडर वर्ष 2020 में 25-30 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है। उन्होंने कहा, "बिक्री कैलेंडर वर्ष 2010 के स्तर से नीचे आ सकती है। लॉकडाउन का विस्तार उत्पादन को और खराब कर सकता है। नकदी का खात्मा नौकरी जाने का कारण बन सकता है। अधिकारियों ने कहा कि नकदी समाप्त होने के साथ, नौकरी और वेतन में कटौती संभव है।
सरकार के लिए जटिल है चुनौती
महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा, लॉकडाउन से बाहर निकलने की योजना बनाना सरकार के लिये जटिल चुनौती है। यदि यह सच है कि 49 दिन का लॉकडाउन जरूरी है, तो इसे थोड़ा सहज भी होना चाहिए। महिंद्रा ने कहा, "लॉकडाउन नापतौल कर धीरे -धीरे उठाने जाना चाहिए और यह देश के विभिन्न हिस्सों में टुकड़ों टुकड़ों में खोला जाता है तो रिकवरी धीमी गति से होगी। मारुति सुजुकी, हीरो मोटोकॉर्प और हुंडई मोटर इंडिया को अन्य लोगों के अलावा उत्पादन शुरू करने की अनुमति मिल गई है। लेकिन वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह टियर टू और टियर थ्री कंपोनेंट मेकर्स लॉजिस्टिक्स सपोर्ट होने के अलावा तैयार हैं।
मैन्युफैक्चरिंग बेस अभी भी रेड जोन में
ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज के सीएमडी और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा, ऑटोमोबाइल कंपनियों को एक विशेष क्षेत्र के रूप में देखने की जरूरत है क्योंकि सप्लाई चैन जटिल और आपस में निर्भर है। उन्होंने कहा, "ऑटोमोटिव क्षेत्र का नौकरियों, वेतन और समग्र आर्थिक विकास पर बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ता है। "अभी भी मैन्युफैक्चरिंग बेस रेड जोन में बनी हुई हैं। हमारी दलील है कि उन्हें सुरक्षा प्रोटोकॉल और व्यक्तिगत कंपनियों से आश्वासन के बाद खोलने की अनुमति दी जाए। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार, लॉकडाउन का प्रत्येक दिन और इसके एवज में फैक्टरी बंद होने से ₹ 2,300 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।