करियर के शुरुआत में शाहरुख ने अलग-अलग रोल निभाए। बाद में वे रोमांस के बादशाह बन गए और हर किरदार को उन्होंने शाहरुख बना दिया। बीच-बीच में वे प्रयोग करते रहे, लेकिन ज्यादातर में उन्हें नाकामयाबी हाथ लगी। पेश है शाहरुख के करियर की दस श्रेष्ठ फिल्में। ग्रे शेड्स वाली भूमिका निभाने का साहस उस दौर के हीरो में नहीं था। शाहरुख खान ने जोखिम उठाया और एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया जो हीरोइन को छत से धकेल कर मार डालता है। शाहरुख खान ने अपने किरदार को इतनी शिद्दत के साथ निभाया कि दर्शकों वो हीरो लगे। इस फिल्म के जरिये शाहरुख ने सुपरस्टार बनने की ओर अपना पहला कदम रखा। जूही चावला को जब शाहरुख क...क...क... किरण नाम से पुकारते हैं तो सिनेमाहॉल में बैठे दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शाहरुख ने इसमें एक मनोरोगी का किरदार निभाया जो एक लड़की को बहुत चाहता है और अपने तथा उसके बीच की सारी रूकावट को हटाने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। शाहरुख ने पूरी त्रीवता के साथ इस किरदार को जिया और डर पैदा किया। फिल्म देखने के बाद हीरो नहीं विलेन याद रहता है और ये शाहरुख के अभिनय का ही कमाल है।
टिपिकल फॉर्मूले वाली फिल्म। बदला, मां, पुनर्जन्म, भाई वाले फॉर्मूलों को इतने सही तरीके से पेश किया कि फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई। शाहरुख और सलमान की जोड़ी ने गजब ढा दिया। सलमान ने अपने कैरेक्टर को अंडरप्ले किया तो दूसरी ओर शाहरुख ने किरदार को जोश से भर दिया। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बाद शाहरुख को रोमांस का बादशाह कहा जाने लगा। रोमांटिक फिल्मों से दूर भागने वाले शाहरुख मुश्किल से यह फिल्म करने के लिए राजी हुए थे। राज के किरदार को उन्होंने कुछ इस ढंग से निभाया कि हर लड़की अपने प्रेमी में राज को ढूंढने लगी। बॉलीवुड के इतिहास की सफलतम फिल्मों में से एक जो 1995 से मुंबई के एक सिनेमाघर में अभी भी दर्शकों को आकर्षित कर रही है।
शाहरुख की आंखों में संजय लीला भंसाली को दर्द नजर आया और उन्होंने अपने पसंदीदा हीरो सलमान की बजाय शाहरुख को 'देवदास' की भूमिका सौंप दी। शाहरुख के अभिनय की तुलना दिलीप कुमार और कुंदनलाल सहगल द्वारा अभिनीत की गई 'देवदास' से हुई। देवदास की उग्रता और दर्द को शाहरुख ने पुरजोर कोशिश के साथ पेश किया, हालांकि उनके अभिनय की यह कह कर आलोचना हुई कि उन्होंने देवदास को शाहरुख खान बना दिया। एक ऐसे प्रेमी का किरदार शाहरुख ने निभाया जो अपनी प्रेमिका के लिए बरसों तक इंतजार करता है। शाहरुख ने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया, लेकिन यह फिल्म आशा से कम सफल रही। प्रेम की परिभाषा बदल रही थी और इसी कारण युवाओं ने यह फिल्म नापसंद की। सुपरस्टार बन कर शाहरुख एक इमेज में जकड़ गए। दर्शक उन्हें खास शैली में ही देखना पसंद करने लगे। अंदर का कलाकार छटपटाया और शाहरुख ने इमेज के विपरीत 'स्वेदस' नामक फिल्म की। नासा में प्रोजेक्ट मैनेजर मोहन भार्गव भारत के गांव की स्थिति देख स्वदेस में ही रहने का फैसला करता है। इस विचारोत्तेजक फिल्म में शाहरुख का अभिनय देखने लायक है। फिल्म भले ही असफल रही हो, लेकिन यह शाहरुख की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। स्टाइल और एटीट्यूड के साथ शाहरुख 'डॉन' बनकर छा गए। रोमांस की वादियों से निकल कर उन्होंने अपराध की अंधेरी दुनिया में गन और गर्ल्स के साथ एंट्री ली। शाहरुख का डॉन बनना भले ही अमिताभ प्रेमियों को पसंद नहीं आया हो, लेकिन उनके फैंस को किंग खान का यह रूप अच्छा लगा। डॉन 2 के जरिये इस सीरिज को उन्होंने आगे बढ़ाया। एक बार फिर शाहरुख ने इमेज से हटकर फिल्म की और इस बार उन्हें सफलता हाथ लगी। एक महिला हॉकी कोच कबीर खान का रोल उन्होंने इस तरह निभाया कि लोग शाहरुख खान को भूल गए। कॉलेज जमाने में हॉकी खेलने वाले शाहरुख इस रोल के लिए परफेक्ट लगे जो एक कमजोर टीम का मनोबल कुछ इस तरह बढ़ाता है कि वो टीम चैम्पियन बन कर ही दम लेती है। शाहरुख ने इस फिल्म के जरिये अपने अभिनय के उच्चतम स्तर को छुआ। शाहरुख को लेकर बबलगम रोमांस वाली फिल्म बनाने वाले करण जौहर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खान सरनेम वालों को किस तरह के व्यवहार और परिस्थिति से निपटना पड़ता है 'माय नेम इज़ खान' के जरिये दर्शाया। रिज़वान खान नाम अत्यंत सीधे-सादे मुस्लिम युवक के रूप में शाहरुख का अभिनय दिल को छू गया। फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिली।
शाहरुख खान की बेस्ट 10 मूवीज़ : जो देखी जा सकती है बार-बार