पाकिस्तान की एक आतंकवाद-निरोधी अदालत ने फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (FIA) से साल 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए अफगान तालिबान प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर की संपत्तियों की कुर्की का ब्योरा देने को कहा है।
दरअसल कराची की एक अदालत ने शनिवार को एजेंसी से मंसूर की जायदाद की जानकारी मांगी है। ऐसे में एजेंसी को मंसूर की उस जायदाद की जानकारी देनी होगी, जो उसने अपनी मौत से पहले नकली दस्तावेजों के जरिए कराची, क्वेटा और पेशावर में खरीदी थी।
इसके अलावा अदालत ने एजेंसी से कहा कि वो मारे गए तालिबान नेता के दो साथियों पर एक रिपोर्ट पेश करे, जो जुलाई 2019 में दायर एक टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरार हैं। कोर्ट की तरफ से मामले में सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुल्ला अख्तर मंसूर 21 मई, 2016 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के अंदर अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था। उसने जुलाई 2015 में आतंकवादी समूह का नेतृत्व किया था। इस दौरान उसने तालिबान के संस्थापक और एक लंबे समय तक चलने वाले आध्यात्मिक प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर की जगह ले ली, जिसकी मौत साल 2013 में हुई थी।
एफआईए ने आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 1997 की धारा 11H (मनी लॉन्ड्रिंग और फंड बढ़ाने) के तहत मंसूर, अख्तर मोहम्मद और अमार को एक मामले में दोषी ठहराया था। इन तीनों पर पाकिस्तान दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी जैसे आरोप भी लगाए गए थे।
दरअसल अफगान तालिबान नेता ने कथित तौर पर नकली पहचान पर पांच संपत्तियां खरीदी थीं। आतंकवाद विरोधी अदालतों के प्रशासनिक न्यायाधीश को 25 जुलाई, 2019 को सौंपी गई अंतिम चार्जशीट के मुताबिक, मंसूर ने मोहम्मद वली और गुल मोहम्मद के नाम पर संपत्ति खरीदी थी। इन संपत्तियों में कराची में चार फ्लैट और फाइनेंशियल हब में 441.67-वर्ग-गज का प्लॉट शामिल है।