जिस ‘एक्‍ट’ में फारुख अब्‍दुल्‍ला को ‘नजरबंद’ किया था वो उनके ‘पिता’ ही लेकर आए थे


जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री और नेता फारुख अब्‍दुल्‍ला को पिछले शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा करने की घोषणा की गई है। वे पिछले सात महीने से अपने ही घर में नजरबंद थे। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा जम्‍मू कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 हटाने के निर्णय के दौरान उन्‍हें नजर बंद किया गया था। उन्‍हें पीएसए यानी (Public Safety Act) के तहत नजरबंद किया गया था।


यह भी एक संयोग ही है कि जिस एक्‍ट के तहत उन्‍हें नजरबंद किया गया था वो उनके पिता शेख अब्‍दुल्‍ला ही लेकर आए थे। घाटी में नेताओं की नजरबंदी पर उठे सवालों पर सरकार ने स्पष्ट किया था कि फारूक को पीएसए के तहत नजरबंद किया गया था।

जानकर हैरानी होगी कि 1978 के दौर में राज्‍य में व्‍यापक पैमाने पर लकड़ी की तस्करी होती थी। इसी अपराध को कम करने के लिए शेख अब्‍दुल्‍ला तस्‍करों के खिलाफ यह एक्‍ट लेकर आए थे।

दरअसल, घाटी में अनुच्छेद-370 के कुछ प्रावधानों को खत्‍म करने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाया तो यहां स्‍थिति खराब होने की आशंका थी, ऐसे में यहां के नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री फारुख अब्‍दुल्‍ला के साथ ही उनके बेटे उमर अब्‍दुल्‍ला और परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को बंद किया गया था। 5 अगस्त 2019 को फारूक अब्दुल्ला को उनके ही घर पर नजरबंद किया गया था। करीब 7 महीने बाद सरकार ने उनकी नजरबंदी को खत्म किया है।

कौन है फारुख अब्‍दुल्‍ला?
जम्मू-कश्मीर की सियासत में कई दशकों से अब्दुल्ला परिवार का अच्छा खासा दबदबा रहा है। शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं। अब्दुल्ला की सियासत इतनी पैनी है कि वे तीन बार यहां के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।


21 अक्टूबर 1937 को फारूक अब्दुल्ला का जन्‍म हुआ था। उनकी मां का नाम बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला है। उन्‍होंने श्रीनगर में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। इसके बाद उन्होंने लंदन में प्रैक्टिस भी की। लंदन में ही उन्होंने ब्रिटिश मूल की नर्स मौली से शादी की। बेटे उमर अब्‍दुल्‍ला के साथ ही फारूक की तीन बेटियां साफिया, हिना और सारा हैं। उनकी बेटी सारा की शादी राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट से हुई है।


फारूक अब्दुल्ला 1980 में हुए आम चुनावों में श्रीनगर से सांसद चुने गए थे। इसके एक साल बाद 1981 में उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष चुना गया। 1982 में उनके पिता शेख अब्दुल्ला की मौत हो गई। इसके बाद उन्‍होंने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल लिया और मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन उनके बेहनोई गुलाम मोहम्मद शाह के विरोध के चलते अब्‍दुल्‍ला अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। इसके बाद फारूक लंदन चले गए। 1996 में वे फिर से कश्मीर लौट आए और 1996 में विधानसभा चुनाव लड़ा। 1999 में अटल बिहारी की गठबंधन सरकार बनी तो उसमें उनकी पार्टी भी शामिल हुई। इसी सरकार में उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को केंद्र में मंत्री पद दिया गया।


फारुख अब्‍दुल्‍ला के पिता शेख अब्‍दुल्‍ला की एक आत्‍मकथा है। नाम है ‘आतिश ए चिनार’। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस किताब में उन्‍होंने स्‍वीकार किया है कि कश्‍मीरी मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे और वे कश्‍मीरी पंडित थे। यहां तक कि किताब में उन्‍होंने अपने परदादा का नाम बालमुकुंद कौल बताया है। इस किताब की मदद से मीडिया भी वक्‍त-वक्‍त पर यह दावा करता है कि कश्‍मीरी मुसलमान और कश्‍मीरी पंडितों के पूर्वज हिंदू ही रहे हैं। शेख अब्‍दुल्‍ला ने विस्‍तार से अपनी इस आत्‍मकथा में लिखा है। लेकिन फारुख अब्‍दुल्‍ला जम्‍मू कश्‍मीर में पत्‍थरबाजी करने वाले नौजवानों की पैरवी भी करते रहे हैं।

हालांकि फारुख अब्दुल्ला स्वयं कई बार कश्मीर के बाहर दिए गए साक्षात्कार और भाषणों में अपने पूर्वजों के हिंदू होने का जिक्र कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें कई बार मंदिरों में पूजा करते और भजन गाते हुए भी देखा गया है। उन्‍होंने अयोध्या में राम मंदिर बनने की पैरवी करते हुए कहा था, अगर अयोध्‍या में मंदिर बनता है तो एक पत्थर वे भी लेकर जाएंगे।

उनके पिता की आत्‍मकथा ‘आतिश ए चिनार’ में जिक्र किया गया है कि श्रीनगर के पास सूरह नाम की एक बस्ती में शेख़़ मुहम्मद अब्दुल्लाह का जन्म हुआ था। उनके पूर्वज मूलतः सप्रू गोत्र के कश्मीरी ब्राह्मण थे। लेकिन अफग़ानों के शासनकाल में उनके एक पूर्वज रघूराम ने एक सूफी के कहने पर इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।