SC ने पूछा- जेपी ग्रुप के अधूरे प्रॉजेक्ट्स को पूरा कर सकती है एनबीसीसी?


नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एनबीसीसी से जवाब मांगा कि क्या वह जेपी समूह की अधूरी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये परिवर्तित प्रस्ताव देने का इच्छुक है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ नेनेशनल बिल्डिग्ंस कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन (एनबीसीसी) को नोटिस जारी किया। पीठ ने एनबीसीसी से बृहस्पतिवार तक इस विषय पर जवाब मांगा है।  केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल माधवी दीवान ने कहा कि विभिन्न दावेदारों के साथ केन्द्र की तीन बैठकें हुयी हैं और यह निर्णय लिया गया है कि वह जेपी समूह को कर में रियायत देने और किसानों का मुआवजा बढ़ाने के लिये तैयार है बशर्ते एनबीसीसी को अधूरी परियोजनाएं पूरी करने दिया जाये।



जेपी समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरिमन और अनुपम लाल दास ने कहा कि एनबीसीसी को अगर परिवर्तित प्रस्ताव देने की अनुमति दी जाती है तो उसे इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन समूह को भी अपना प्रस्ताव देने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि वह बकायदारों की रकम लौटाना चाहती है और सभी अधूरी परियोजनाओं को तीन साल के भीतर पूरा करना चाहती है। नरिमन ने कहा कि एनबीसीसी के प्रस्ताव पर गौर करते समय उसके इस विकल्प पर भी विचार किया जाना चाहिए।पीठ ने इस मामले में यथास्थिति की अवधि अगले आदेश तक बढाने के साथ ही इस मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार के लिये स्थगित कर दी।  शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को नकदी संकट से जूझ रहे जेपी इंफ्राटेक के लिये नयी बोलियां लगाने की अनुमति देने संबंधी राष्ट्रीय कंपनी विधिक अपीलीय न्यायाधिकरण के 30 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली जेपी समूह की याचिका पर सुनवाई के बाद दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही पर एक सप्ताह के लिये यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।