जम्मू। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से सबसे त्रस्त हालत में जम्मू कश्मीर के वे लाखों लोग हैं जो एलओसी से सटे इलाकों में रहते हैं क्योंकि पाक सेना ने पिछले एक महीने से इन इलाकों में त्राहि-त्राहि मचा रखी है। अखनूर सेक्टर से लेकर उरी-गुरेज तक का शायद ही कोई इलाका बचा होगा, जहां इस अवधि में पाक तोपखानों ने सीजफायर के बावजूद गोले न बरसाए हों। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार 300 बार से अधिक सीजफायर उल्लंघन सिर्फ अगस्त माह में हुआ है। इस सीजफायर उल्लंघन के कारण 5 की जान जा चुकी है, बीसियों जख्मी हैं और 100 से अधिक घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जबकि सरकारी तौर पर 6 जवान भी इस दौरान शहीद हो चुके हैं। यह कैसा सीजफायर : करीब 16 साल पहले दोनों मुल्कों में जम्मू कश्मीर की सीमाओं तथा एलओसी पर गोलाबारी न करने के लिए लागू हुए सीजफायर का हाल आप आंकड़ों से लगा सकते हैं कि औसतन दिन में 5 से 6 बार दोनों पक्षों के बीच जबरदस्त गोलाबारी होती है और बावजूद इसके कहा जाता है कि सीजफायर जारी है। इन सीजफायर उल्लंघन की घटनाओं से त्रस्त एलओसी पर रहने वाले लाखों निवासियों का दर्द पिछले एक माह से इसलिए दोहरा हो चुका है क्योंकि जम्मू कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों के चलते वे संकट के समय मदद भी नहीं मांग पा रहे थे और न ही उनका दुखदर्द बांटने कोई आगे आ रहा था। दूसरी ओर, पाक नागरिक भी अब यह सवाल अक्सर उठाते हैं कि जब दोनों ही सेनाओं ने तोपखानों के मुंह खोले हुए हैं तो सीजफायर के मायने कहां रह जाते हैं।