नई दिल्ली . देश के 48% पुलिसकर्मियों को लगता है कि मुसलमान आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं। इनमें 14% को लगता है कि उनके अपराध करने की संभावना बहुत हद तक है, जबकि 34% को लगता है कि यह प्रवृति काफी हद तक है। दूसरी ओर, 56% पुलिसकर्मियों का मानना है कि ऊंची जाति के हिंदू अपराध की ओर नहीं जाते। मंगलवार को जारी लोकनीति और काॅमन कॉज की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
12 हजार पुलिस वालों के बीच 12 महीने तक किए गए सर्वे के मुताबिक देश में पुलिस वाले औसतन 14 घंटे रोज काम करते हैं, जबकि 80% पुलिसवालों को 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ती है। हर दो में से एक पुलिसकर्मी ओवरटाइम करता है। पुलिसकर्मियों के 5 में से 3 परिवार वालों को लगता है कि उन्हें रहने के लिए जो मकान दिया गया है, वह घटिया है। हर दो में से एक पुलिस वाले को वीकली ऑफ नहीं मिलता।
सर्वे में थानों की सुविधा के बारे में भी दयनीय तस्वीर सामने आई
हर चार में से तीन पुलिस वालों को लगता है कि उनके काम के घंटों से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। सर्वे में थानों की सुविधा के बारे में भी दयनीय तस्वीर सामने आई। 12% थानों में पीने का पानी नहीं है, जबकि 18% ने कहा कि उनके यहां टायलेट नहीं है। इतना ही नहीं, 36% पुलिसकर्मियों ने कहा कि जब कभी ड्यूटी पर इमरजेंसी में जाना हो, तो उनके पास गाड़ी नहीं होती।
एससी-एसटी एक्ट में मामले झूठे और खास मकसद से दर्ज होते हैं
- जातिगत मामले में 5 में से एक पुलिसकर्मी को लगता है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत आने वाले मामले झूठे और किसी खास मकसद से दायर किए जाते हैं। इसी तरह महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में उनकी राय पूर्वग्रह से प्रेरित है। हर पांच में एक पुलिसकर्मी को लगता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के केस फर्जी होते हैं।
- भीड़ हिंसा को लेकर 35% पुलिस वालों को लगता है कि गो-हत्या का मामला या कोई दुष्कर्म केस सामने आने पर भीड़ का मारपीट पर उतर आना स्वाभाविक होता है। 37% पुलिसकर्मियों ने समान वेतन और भत्ता मिलने पर ये नौकरी छोड़ने पर सहमति जताई।